रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... रानी-तुम व्यर्थ इतने दिनों कष्ट उठाती रहीं। क्या यह घर तुम्हारा न था? बुरा न मानना बेटी, तुमने विनय के साथ बड़ा अन्याय किया-उतना ही, जितना मैंने। तुम्हारी बात उसे ...

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