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भटका हुआ पथिक हूँ, आराम कौन दे! अन्तस्थ के चीत्कार् को आवाज़ कौन दे! मन शोर है चित मोर है,जग हुआ है मौन सूनी पड़ी कविता को अलंकार कौन दे! है ...