लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2022 - बाबुल

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बाबुल के अंगना में खेलते थे होली , खुशियों से भर जाती थी हमारी झोली | गुलाल नहीं, रंगों से भरी जाती थी पिचकारी , छत पर जाकर फुहार नीचे थी ...

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