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मैं चाहकर भी नहीं भुला सकता, बरसात की वो रात, मेरी मोहब्ब्त की अधूरी दस्तान। एक रोज जब काम से जल्दी घर लौट आया तो सोचा कि घर की थोड़ी सफाई ...