लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता देशप्रेम

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होंठो पर एक मुस्कान लिए, आजादी का अरमान लिए, हंसते हंसते फांसी पे झूल गए, हथेली पर अपनी जान लिए। आजादी को अपना माना था, भारत देश जो उन्हें बचाना था, ...

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