लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता - विश्वाश

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दूसरों की कहानी में, ख़ुद के क़िस्से ढूँढ रहा हूं, टूट चुका हूं मैं, अपने बिखरे हिस्से ढूँढ रहा हूँ। गुस्सा तो आता है, अपने मुफलिस हालात पर, पर उम्मीद है ...

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