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अभिमान न जाने कितनों को शिकार बनाता बिन बताए अनेक ज़िन्दगियाँ निगल जाता। रावण भी इसका शिकार होने से बच न पाया वशीभूत हो भू पर खुद को धराशायी पाया। महिषासुर ...