मुंशी प्रेमचंद ः कर्मभूमि

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कर्मभूमि अध्याय 3 भाग 1 लाला समरकान्त की जिंदगी के सारे मंसूबे धूल में मिल गए। उन्होंने कल्पना की थी कि जीवन-संध्यि में अपना सर्वस्व बेटे को सौंपकर और बेटी का ...

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