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मुक्तक जब नहीं चलता है बच्चा, पांव बन जाती है मां। धूप में जब बिलबिलाता, छांव बन जाती है मां।। एक मां का कर्ज बोलो क्या चुका पाओगे तुम। वक़्त की ...