लेखनी -कविता -22-Mar-2022

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( 133 ) ✍🏻 आज सुलग रहा है ✍🏻 आज सुलग रहा है सारा संसार,  इंसानियत हो रही है शर्मसार, ये साल कैसे मनाए होली यार? मन नहीं मान रहा अब ...

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