वो सुर्ख गुलाब

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आज किताब के पन्नों को पलटते हुए मिल गयी बरसों पुरानी बड़े जतन से रखी गुलाब की सुर्ख पंखुरियां सूख कर भी यादों की हरियाली रखी थी बरक़रार  रंग अब भी ...

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