1 Part
367 times read
15 Liked
हँसते हँसते देश की खातिर फाँसी पर जो झूल जाए ऐसे बलिदानियों को कैसे देश भला फिर भूल पाए देश की खातिर मर मिटने का हौसला वो तूफानी था चोरी से ...