लेखनी प्रतियोगिता -23-Mar-2022 -मकान

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आज फिर वीरान अपना मकान देखा , गली को भी बड़ा सुनसान देखा | चंचल, शोख , हसीं खनकती थी कभी,  परिंदा भी तो नहीं वहां घूमता अभी | प्यार का ...

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