वरदान--मुंशी प्रेमचंद

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7. निष्ठुरता/निठुरता और प्रेम सुवामा तन-मन से विवाह की तैयारियां करने लगीं। भोर से संध्या तक विवाह के ही धन्धों में उलझी रहती। सुशीला चेरी की भांति उसकी आज्ञा का पालन ...

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