वरदान--मुंशी प्रेमचंद

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16. स्नेह पर कर्त्तव्य की विजय रोगी जब तक बीमार रहता है उसे सुध नहीं रहती कि कौन मेरी औषधि करता है, कौन मुझे देखने के लिए आता है। वह अपने ...

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