वरदान--मुंशी प्रेमचंद

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20. मन का प्राबल्य मानव हृदय एक रहस्यमय वस्तु है। कभी तो वह लाखों की ओर ऑख उठाकर नहीं देखता और कभी कौड़ियों पर फिसल पड़ता है। कभी सैकड़ों निर्दषों की ...

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