पर्दा ना जाने खिड़की से उतर कर कब अक्ल पर पड़ गया पर्दा वो लब जो रहते थे सुर्ख पान से कैसे जुबान पे चढ़ गया जर्दा। कौन कहता है शर्मदार ...

×