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कौन हो तुम अपरिचित सी कौन हो तुम अपरिचित सी? मौन आमंत्रण देती सी। पहाड़ी नदी सी अविरंल, मीन की तरह नयन चंचल। निर्झरित करती श्वेत जलधार, जल प्रपात सा कल, ...