विक्रमादित्य का तेगा

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बहुत जमाना गुजरा, एक रोज पेशावर के मौजे महानगर में प्रकृति की एक आश्चर्यजनक लीला दिखाई पड़ी। अंधेरी रात थी, बस्ती से कुछ दूर बरगद के एक छांहदार पेड़ के नीचे ...

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