वरदान--मुंशी प्रेमचंद

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... इस तरह अपने विचारोद्गारों को शान्त करके पापनाशी शहर में परविष्ट हुआ। यह द्वार पत्थर का एक विशाल मण्डप था। उसके मेहराब की छांह में कई दरिद्र भिक्षुक बैठै हुए ...

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