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कृत्रिमता के भँवर में उलझकर प्रकृति सुंदरता को हम गए भूल। दौलत की चकाचौंध में हुए अंधे अपने गाँव की माटी को गए भूल। सपनों की दुनिया में खोए इस कदर ...