लेखनी कविता -28-Mar-2022

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चाहकर भी कभी उसकी खामोशी ना समझ पाए, मुस्कुराहटों में छिपी उनकी उदासी ना समझ पाए। समझदार होकर भी हम नासमझ ही रह गए, बेबसी हो मजबूरियों में ये जुदाई भी ...

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