यादों की रफ़्तार

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हम सबको चलती गाड़ी की खिड़की से बाहर ताकना पसंद है। गाड़ी के रफ्तार पकड़ते ही , जैसे ही मुँह पर हवा पड़ती है , मनुष्य दार्शनिक बन जाता है। तेजी ...

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