अनजानी राहे

1 Part

241 times read

3 Liked

एक अनजान राह पर चल पड़े मुसाफिर, चलना था, बस चलना ही था इस राह पर।   आगे क्या होने वाला है, ये पता नहीं था, अपने सब हैं, साथ खुशी ...

×