अनजानी राहें

1 Part

283 times read

14 Liked

किस कदर बेख़ौफ़ होती हैं ये यादें  वक़्त-बेवक़्त चहलक़दमी करती हैं  दिल की दरों दिवार पर  डरतीं नहीं हैं,भटक जाती हैं  अक्सर अनजानी राहों मैं  एक बार निकलती हैं तो  फिर ...

×