मुंशी प्रेमचंद ः सेवा सदन

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39 प्रातःकाल यह शोक-समाचार अमोला में फैल गया। इने-गिने सज्जनों को छोड़कर कोई भी उमानाथ के द्वार पर संवेदना प्रकट करने न आया। स्वाभाविक मृत्यु हुई होती, तो संभवतः उनके शत्रु ...

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