मुंशी प्रेमचंद ः सेवा सदन

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... सुमन झोंपड़े में चली गई, तो सदन धीरे-धीरे शान्ता के सामने आया और कांपते हुए स्वर से बोला– शान्ता। यह कहते-कहते उसका गला रुंध गया। शान्ता प्रेम से गद्गद् हो ...

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