अनजानी राहें

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अनजानी  राहों  से  गुजर  रहे  हैं  आज शहर-ए-मोहब्बत में ठहर रहे हैं फेंक दी है सिगरेट बिन जलाए हुए  और माचिस जेब के भीतर धर रहे हैं   बड़ी तेज है ...

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