मुंशी प्रेमचंद ः सेवा सदन

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... हा प्रभो! तुम सुंदरता देकर मन को चंचल क्यों बना देते हो? मैंने सुंदर स्त्रियों को प्रायः चंचल ही पाया। कदाचित् ईश्वर इस युक्ति से हमारी आत्मा की परीक्षा करते ...

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