दुपहरी (दोहे,) दैनिक कविता प्रतियोगिता -01-Apr-2022

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दुपहरी (दोहे) ए सी में बैठी हुई,करती मैं आराम। भरी दुपहरी साजना, करने जाते काम।। पूरी हो हर ख्वाहिशें, हर सुख का हो भोग। तभी दुपहरी भर तपें, लगा प्रेम का ...

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