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तेरे दिये जख़्मों को उपहार समझकर तेरे छल प्रपंचों को प्यार समझकर एतबार करता रहा मैं यार समझकर दिल खिलता रहा दिलदार समझकर टूटा है मेरा एतबार तुझसे, प्रेम से नहीं ...