1 Part
340 times read
8 Liked
सूनी पतझड़ सी ज़िन्दगी में आए सावन की फुहार बन कर तप्त धरती बूंदों को आलिंगन में ले झूम उठी तन्हाइयों का फल चखा था मैंने अब मिलने की आस थी ...