आए सावन बन

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सूनी पतझड़ सी ज़िन्दगी में आए सावन की फुहार बन कर तप्त धरती बूंदों को आलिंगन में ले  झूम उठी तन्हाइयों का फल चखा था मैंने अब मिलने की आस थी  ...

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