1 Part
369 times read
9 Liked
पढ़ी मैंने जिंदगी की किताब धीरे-धीरे पढी मैंने जिंदगी की किताब, हर रोज का एहसास अलग उसका तो जनाब। सोचा नहीं जाना नहीं आज तक उसका हिसाब, हर मिनट पर देखा ...