लेखनी कविता -कविता संग्रह रुको बाबा

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रुको बाबा जख़्म अभी हरे हैं अम्मा मत कुरेदो इन्हें पक जाने दो लल्ली के बापू की कच्ची दारू जैसे पक जाया करती है भट्टी में। दाग़ अभी गहरे हैं बाबा ...

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