लेखनी प्रतियोगिता -07-Apr-2022बदलते वक्त का बोझ

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बदलते वक्त का बोझ हमें ढोने नहीं आता,  कि पत्थर हो चुके हैं हम , हमें रोने नहीं आता,  भरोसा खुद पर ना हमको,  ना खुद्दार लोगों पर , ना जाने ...

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