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अंगूर की बेटी नशीली बड़ी, बोतल भी झूमे खड़ी-खड़ी । सीधी साधी थी मैं तो बड़ी , काहे को नजरें उससे लड़ी । नशे का छाया सुरूर यहां पर , और ...