लेखनी कविता -कविता संग्रह और ही राग

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और ही राग टेबिल टाप पर तुम्हारी उँगलियाँ पड़ी हुई थीं निर्जीव और मैं प्रतीक्षा में थी दम साधे कि अब वे हरकत करेंगी- धिनक धिनक धिन्... धिनक धिन्... रच दोगे ...

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