लेखनी कविता -कविता संग्रह अपना काम

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अपना काम चीख़-चीख़ कर उन्होंने दुनिया-भर की नींद हराम नहीं कर दी नाक चढ़ा, भौं उठा सबको नीचे नहीं गिराया पूरी सुबह के दौरान एक बार भी मुँह नहीं फुलाया कोप-भवन ...

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