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मेरी माँ वे हर मंदिर के पट पर अर्घ्य चढ़ाती थीं तो भी कहती थीं- 'भगवान एक पर मेरा है।' इतने वर्षों की मेरी उलझन अभी तक तो सुलझी नहीं कि- ...