बहुत करीब

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दिखा अक्स तो यूँ लगा, गुरु है बहुत करीब  बंद आँख दुनिया दिखे, कैसा योग अजीब  उसे निहारा प्रेम से, वो भीतर बस जाय  उसके जैसा ना मिला, मुझको कोई हबीब  ...

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