लेखनी प्रतियोगिता -08-Apr-2022 तपन

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सुरज तप रहा है और तप रही ये धरती है। हा हाकार मचा हैलू जैसी हवा चलती है।। राह कठिन है अब तो मुश्किल  डगर है। राह मे बिछ गये काँटे ...

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