लेखनी कविता -कविता संग्रह घास

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घास बस्ती वीरानों पर यकसाँ फैल रही है घास उससे पूछा क्यों उदास हो, कुछ तो होगा खास कहाँ गए सब घोड़े, अचरज में डूबी है घास घास ने खाए घोड़े ...

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