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कौन जाने? झुक रही है भूमि बाईं ओर, फ़िर भी कौन जाने? नियति की आँखें बचाकर, आज धारा दाहिने बह जाए। जाने किस किरण-शर के वरद आघात से निर्वर्ण रेखा-चित्र, बीती ...