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बहुत याद आती है जब चाँद तले चुपचाप बैठ जाती हूँ, चुपचाप अकेली और अनमनी होकर, कोई पंथी ऊँचे स्वर से गा उठता, उस दूर तलक पक्की सुनसान सडक पर, तब ...