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मधुकर! स्याम हमारे चोर मधुकर! स्याम हमारे चोर। मन हरि लियो सांवरी सूरत¸ चितै नयन की कोर।। पकरयो तेहि हिरदय उर–अंतर प्रेम–प्रीत के जोर। गए छुड़ाय छोरि सब बंधन दे गए ...