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मूल्यवान समय को व्यर्थ होने से बचाये किसी सार्वजनिक संस्था के दाक सदस्य चर्चा के लिए गांधीजी के पास वर्धा पहुँचे। बातचीत में गाँधीजी को लगा कि छोटे से काम के ...