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क्या निश्ब्दता के सीमा में जीकर होगा? इससे बेहतर है सपनों को बलि चढ़ाऊं!! बहुत शौक़ से तुमने ही तो मुझे चुना था.. आओ अंतश का खालीपन तुझे दिखाऊं!! दिवस अनेकों ...