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ग़ज़ल इस्लाम को हिजाबी मोहब्बत पे नाज़ है गै़रत पे नाज़ है तेरी हिम्मत पे नाज़ है तू चल पड़ी अकेले जहां जारी खौफ था मुस्कान तेरी सब को जसारत पे ...