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बरगद की घनी, शीतल छाँव में बैठ चबूतरे पर भोर से लेकर रात तक महफिल सजती हां यहीं पर बड़े बुजुर्गो की सीख सबक मिलती सबको यहीं पर चुन्नू मुन्नू लाली ...