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रण बीच चौकड़ी भर-भर कर, चेतक बन गया निराला था राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था।। ओज की ऐसी सैकड़ों कविताओं के लेखक पंडित श्याम नारायण ...